भगवान् शिव

।। श्री परमात्मने नमः।। नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च। मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।। शिव समस्त जगत् के आधार हैं। श्रुतियों में शिव तत्त्व का बहुतायत वर्णन हुआ है। महाकवि कालिदास ने कुमारसम्भव महाकाव्य के द्वितीय सर्ग में भगवान् शिव को जगत् की उत्पत्ति, स्थिति एवं लय का कारण प्रतिपादित किया है- नमस्त्रिमूर्तये तुभ्यं प्राक्सृष्टेः केवलात्मने। गुणत्रयविभागाय पश्चाद्भेदमुपेयुषे।। अभिज्ञानशाकुन्तलम् के मंगलाचरण में महाकवि स्तुति करते हैं- या सृष्टिः स्रष्टुराद्या वहति विधिहुतं या हविर्या च होत्री, ये द्वे कालं विधत्तः श्रुतिविषयगुणा या स्थिता व्याप्य विश्वम्। यामाहुः सर्वबीजप्रकृतिरिति यया प्राणिनः प्राणवन्तः, प्रत्यक्षाभिः प्रपन्नस्तनुभिरवतु वस्ताभिरष्टाभिरीशः।। ...