संस्कृत सुभाषितम्
शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे।
साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न हि वने वने।।
=प्रत्येक पर्वत पर मणि माणिक्य प्राप्त नहीं होते, न ही प्रत्येक हाथी के मस्तक से मौक्तिक (मुक्तामणि) प्राप्त होती है। संसार में अनेक मनुष्य होने पर भी साधु पुरुष कम ही होते हैं, एवम् सभी वनों में चन्दन के वृक्ष भी प्राप्त नहीं होते हैं।
🙏हर हर महादेव🙏
Comments
Post a Comment